
बिलासपुर–होली त्यौहार में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए ड्यूटी में तैनात पुलिस कर्मियों के साथ हुई मारपीट के मामले में उन पुलिस वालो की शिकायत पर उनके ही थाने में उनकी शिकायत को नहीं सुनते हुए मामला कायम तक नहीं किया जा रहा था।थाना प्रभारी से लेकर शहर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक तक को जानकारी होने के बाद भी सिर्फ कार्रवाई के नाम पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई कर मामले को चलता किया जा रहा था।लेकिन इस मामले की जानकारी जब जिले के एसपी रजनेश सिंह को हुई तो उन्होंने तत्काल अपराध दर्ज करने का निर्देश जारी किए।शांति और सौहाद्र पूर्ण वातावरण में होली का पर्व मनाने के लिए बिलासपुर पुलिस ने कड़ी सुरक्षा के साथ जगह जगह पुलिस जवान और पेट्रोलिंग गाड़ियों से नजर रखी हुई थी।होलिका दहन से लेकर रंग खेलने तक पूरे शहर और जिले में शांति से त्यौहार मनाया जा रहा था।लेकिन कुछ असामाजिक तत्व अशांति फैलते हुए पुलिस कर्मियों से ही उलझ पड़े।सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार इसी बीच कुछ असामाजिक तत्व और उपद्रवी अपनी करतूत से बाज नहीं आए और शहर के दो थाना क्षेत्र में पुलिस जवानों के साथ मारपीट की घटना को अंजाम दिए।बताया जा रहा की एक तोरवा और दूसरा कोतवाली थाने क्षेत्र में यह घटना घटित हुई।इस मामले के सामने आने के बाद यह बात भी सामने आई कि मारपीट में घायल इन पुलिस कर्मियों का डाक्टरी मुलाहिजा होने के बाद भी उपद्रवी के खिलाफ कार्रवाई करने में कोई रुचि नहीं लिया जा रह था। थाना प्रभारी हीलाहवाला करते हुए प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करने में लगे थे।लेकिन इसी बीच जिले के पुलिस कप्तान को इस मामले की जानकारी हुई और उन्होंने तत्काल मामले को गंभीरता से लेते हुए अपराध दर्ज करने का निर्देश दिए।जिसके बाद घटना को अंजाम देने वाले इन हुड़दंगियों और उपद्रवी बदमाशों के खिलाफ कार्रवाई कर अपराध दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की गई।
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आपको बताते चले कि पहला मामला तोरवा थाना क्षेत्र में बॉम्बे अटल आवास के पास कुछ असामाजिक तत्व तोरवा थाने में पदस्थ प्रधान आरक्षक पर टूट पड़े और हाथ पत्थर से हमला कर प्रधान आरक्षक को लहूलुहान कर दिए।पुलिस की अन्य टीम को जानकारी लगी और मौके पर तत्काल पहुंचकर प्रधान आरक्षक को इन उपद्रवी के बीच से निकाल कर हटाया।और घटना को अंजाम देने वाले असामाजिक तत्वों को पकड़कर थाना लाया गया।वही इसके बाद दूसरी घटना थाना कोतवाली की पेट्रोलिंग गाड़ी में तैनात आरक्षक के साथ महिला आरक्षक गोलबाजार पहुंचे तो कुछ असामाजिक तत्व नशे में उपद्रव कर रहे थे।इन उपद्रवी को समझाइश देने गए जवान से बहस करने लगे ओर बहस बढ़ते देख आरक्षक ने वायरलेस से सूचना देकर और बल की मांग की।लेकिन वह कुछ समझ पाता कि इसी बीच तीनों युवक मिलकर आरक्षक पर हमला कर दिए।वही बीच बचाव करने गई एक महिला आरक्षक के साथ भी इन तीनों युवकों ने मारपीट करने लगे।मारपीट कर भाग पाते उसके पहले पुलिस की अन्य टीम वहां पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किए और उन उपद्रवी को थाना लाया गया।जिसके बाद पेट्रोलिंग गाड़ी में तैनात आरक्षक का मुलाहिजा कराया गया जहां उसके बाएं हाथ फैक्चर हो गया और कान में चोट आई।लेकिन उसके बाद भी इन उपद्रवी के खिलाफ थाने में मामला पंजीबद्ध नहीं किया जा रहा था।

बहरहाल इस पूरे मामले में दोनों थाना क्षेत्र में मारपीट की घटना सामने आने के बाद अपराध दर्ज कराने को लेकर प्रधान आरक्षक और आरक्षकों को घंटों बैठना पड़ा और कार्रवाई को लेकर अपने ही थाने में बेबस और लाचार नजर आए।इनकी इस लाचारी और बेबसी से को देखने के बाद थाना प्रभारी और इनके ऊपर के उच्च अधिकारियों जिस तरह से अपने स्टाफ के साथ बर्ताव किए वह समझ से परे था।इनके इस रुख से पुलिस कर्मियों का मनोबल गिरता हुआ नजर आ रहा था।