हाई कोर्ट, जिला प्रशासन और संभाग आयुक्त के साथ स्वास्थ्य विभाग के निरीक्षण निर्देशन के बावजूद सिम्स में अव्यवस्था।





हाई कोर्ट, जिला प्रशासन और संभाग आयुक्त के साथ स्वास्थ्य विभाग के निरीक्षण निर्देशन के बावजूद भी आज तक संभाग के सबसे बड़े सिम्स अस्पताल की व्यवस्था नहीं सुधरी है। आज भी मरीज स्ट्रेचर के लिए भटक रहे हैं, तो वही लिफ्ट बंद होने के कारण दिव्यांग और बुजुर्ग सीढ़ी चढ़ने मजबूर हैं। तमाम खामियों का जायजा लेने जब जी न्यूज़ की टीम पहुंची तो वहां परिजनो और मरीजो ने भी अपना दर्द बयां किया और बताया कि टेस्ट के लिए दो से तीन महीने वेटिंग दिया जा रहा है, तब तक तो मरीज की हालत ही खराब हो जाएगी। इन तमाम अव्यवस्थाओं को लेकर ज़ी न्यूज़ की पड़ताल जारी है।
संभाग के सबसे बड़े सिम्स अस्पताल की तबीयत हाई कोर्ट के फटकार के बाद भी नहीं सुधर रही है। लगातार कलेक्टर, कमिश्नर, स्वास्थ्य विभाग सहित न्याय मित्र के निरीक्षण और निर्देश के बावजूद भी मरीजो को उचित और समय पर इलाज नही मिल पा रहा हैं, जिसे लेकर मरीज और परिजनों में जमकर आक्रोश है। सिम्स गेट पर स्ट्रेचर, व्हीलचेयर के लिये परिजन भटकते देखे जा सकते है और यदि मिल भी जाये तो वार्ड बॉय नहीं मिलता, मजबूरी में परिजन ही व्हील चेयर धकेलकर वार्ड, ओपीडी में ले जाते है, मुसीबत तब बढ़ जाती हैं जब महिला परिजन होती हैं, जो जैसे तैसे वार्ड पहुचती हैं। वही लिफ्ट बंद होने से दिव्यांग और बुजुर्गों को बड़ी समस्या हो रही है, लोग मजबूरी में सीढ़ी चढ़कर दूसरे से तीसरे माले पहुचते हैं। लचर व्यवस्था को लेकर मरीजो के परिजनों में खासा आक्रोश हैं।
सिम्स अस्पताल के सामने टेस्ट सेंटर के दुकान सजे हुए हैं, इसमें कहीं ना कहीं सिम्स प्रबंधन की कृपा बरस रही हैं, जांच के दौरान डॉक्टर टेस्ट के लिए लिखते हैं, जब मरीज टेस्ट कराने पहुंचता है तो पता चलता है कि 2 महीने के बाद उसका नंबर आएगा। लंबी वेटिंग को देखते हुए निजी सेंटरो में जाना मजबूरी हैं, टेस्ट सेंटर का गोरखधंधा डॉक्टरों की निगरानी में फल फूल रहा है।इससे मरीजों में खासा आक्रोश है। इसे लेकर वे सिम्स प्रबंधन पर जमकर बरसे।
सबसे मजेदार बात यह है महीनो हो गए हैं, सिम्स की दशा सुधारने लाख जतन किये गए, लेकिन आज तक सिम्स की दशा नहीं सुधरी है। दिखावे के लिए सिम्स प्रबंधन ताम-झाम करता है, लेकिन सच्चाई है कि अंदर से प्रबंधन आज भी बीमार है, लापरवाह हैं, आरोप है कि डॉक्टर निजी प्रैक्टिस करते हैं और अस्पताल में ध्यान नहीं देते, प्रबंधन से संबंधित कोई भी शिकायत समस्या होने पर मुख्य गेट के सामने फोन नंबर दिया गया हैं, जब ज़ी न्यूज़ के संवाददाता ने उस नंबर पर संपर्क किया तो पता चला नंबर अस्थाई रूप से बंद है। वही जब गेट के अंदर पहुंचे तो देखा कि वहां जो पूछताछ केंद्र है, उस केंद्र में एक भी कर्मचारी मौजूद नहीं है, ऊपर दिए नंबर पर संपर्क किया गया तो फोन उठाने वाला कोई नहीं था, मरीज जानकारी के आभाव में भटकते रहे। समस्या मुंह बाए खड़ी थी। वार्ड, ओपीडी जाने वाले गेट पर ताला लगा हुआ था। मरीज, परिजन घंटो बाहर इंतजार करते रहे। सिम्स की तबियत कब और कैसे सुधरेगी, मरीजों को कब तक उचित इलाज मिलेगा, यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है।