
छत्तीसगढ़ के २ बिलासपुर में पुलिस द्वारा एक शासकीय अधिकारी के साथ कथित दुर्व्यवहार का मामला सामने आया है, जिसके बाद कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ ने ज्ञापन सौंपकर पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। यह घटना 17 नवंबर की रात की बताई जा रही है, जब बस्तर जिले के नायब तहसीलदार अपने परिवार के साथ रायपुर से बिलासपुर लौट रहे थे।
शिकायतकर्ता के अनुसार, वह अपने भाई और पिता के साथ बिलासपुर स्टेशन से घर लौट रहे थे, जब डीएलएस कॉलेज के पास दो पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोका। उनके आरोपों के मुताबिक, पुलिसकर्मी शराब के नशे में थे और उन्होंने बिना किसी कारण अश्लील गालियां देना शुरू कर दिया। जब उन्होंने बताया कि वे नायब तहसीलदार हैं और

थाने में दुर्व्यवहार का आरोप
शिकायत में बताया गया है कि थाने पहुँचने पर नायब तहसीलदार के साथ अभद्र व्यवहार किया गया। उन्हें गालियां दी गईं और शराब पीने के झूठे आरोप में फंसाने की धमकी दी गई। पुलिसकर्मियों ने उनके परिवार से संपर्क करने पर भी रोक लगाई और उनका मोबाइल फोन जब्त कर लिया। बाद में उन्हें मेडिकल परीक्षण के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहाँ बिना उनकी अनुमति के झूठी रिपोर्ट तैयार करने की कोशिश की गई।
कलेक्टर से शिकायत
घटना के दौरान, नायब तहसीलदार के भाई ने बिलासपुर कलेक्टर को फोन करके पूरी घटना की जानकारी दी। कलेक्टर ने तुरंत थाना प्रभारी से बात की, लेकिन थाना प्रभारी ने एसपी के आदेश का हवाला देते हुए कलेक्टर की बात को अनदेखा कर दिया। जब नायब तहसीलदार के भाई ने वीडियो बनाने की कोशिश की, तो पुलिसकर्मियों ने उनका फोन छीन लिया और उसमें से वीडियो तथा अन्य शासकीय दस्तावेज डिलीट कर दिए।
पुलिस पर कार्रवाई की मांग
इस घटना के बाद नायब तहसीलदार और उनके परिवार ने कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ को पूरे मामले से अवगत कराया। संघ ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा। उनका कहना है कि एक शासकीय सेवक के साथ इस तरह का दुर्व्यवहार न केवल उनके अधिकारों का हनन है, बल्कि यह प्रशासनिक प्रणाली पर भी सवाल उठाता है।
एफआईआर दर्ज
सरकंडा थाने में एफआईआर संख्या 1450/2024 दर्ज की गई है। इसमें तहसीलदार और उनके परिवार पर भारतीय दंड संहिता की धारा 221, 296 और 351(2) के तहत सरकारी कार्य में बाधा डालने और पुलिसकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार करने के आरोप लगाए गए हैं।
संघ का बयान
कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और मांग की है कि थाना प्रभारी सरकंडा, तोपसिंग नवरंग और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। संघ के अनुसार, पुलिसकर्मियों ने न केवल सरकारी अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार किया, बल्कि उन्हें फर्जी केस में फंसाने और जान से मारने की धमकी भी दी।
यह मामला छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक और पुलिस तंत्र के बीच के संबंधों को उजागर करता है। एक तरफ शासकीय अधिकारी अपनी सुरक्षा और सम्मान की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पुलिस पर सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लग रहा है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है, और क्या प्रशासनिक सेवा संघ की मांगों को पूरा किया जाता है।
Anytimes news founder pranjal Mukesh anand