
बिलासपुर– प्रदेश के ईमानदार स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि सिम्स में पिछले दिनों गलत इंजेक्शन से गर्भपात का होना मामूली बात है।
इतने बड़े प्रदेश में ऐसी छोटी घटना होती रहती है। ऐसी खबरों के लिए स्वास्थ्य मंत्री के पास समय भी नहीं होता है। ना ही घटना को संज्ञान में लाया गया है। इतना ही नहीं सवाल से तिलमिलाए स्वास्थ्य मंत्री ने जाते समय सिम्स डीन डॉ. रमणेश मूर्ति से कहा कि दलाल मीडिया से घबराने की जरूरत नहीं है। आप लोग अच्छा काम कर रहे हैं।
गलत इंजेक्शन से गर्भपात
जानकारी देते चलें कि 13 मार्च को करगीकला निवासी गर्भवती महिला को पेट दर्द शिकायत के बाद सिम्स में भर्ती किया गया। दूसरे दिन इलाज के दौरान गलत इंजेक्शन लगाने से महिला का गर्भपात हो गया। बच्चा पांच महीने का था। मामले में महिला के परिजन ने आरोप लगाया कि गर्भवती महिला को गलत इंजेक्शन लगाया गया।जबकि इंजेक्शन किसी दूसरी महिला को लगाया जाना था। गलत इंजेक्शन लगने से पांच महीने का गर्भ गिर गया। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा । मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने राज्य स्वास्थ्य सचिव से जवाब मांगा है। साथ ही शपथ भी पेश करने को कहा है। मामले की सुनवाई 7 अप्रैल को होने वाली है।

जबकि इंजेक्शन किसी दूसरी महिला को लगाया जाना था। गलत इंजेक्शन लगने से पांच महीने का गर्भ गिर गया। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा । मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने राज्य स्वास्थ्य सचिव से जवाब मांगा है। साथ ही शपथ भी पेश करने को कहा है। मामले की सुनवाई 7 अप्रैल को होने वाली है।
गर्भपात की घटना बहुत छोटी
रविवार को बिलासपुर प्रवास के दौरान पत्रकारों ने स्वास्थ्य मंत्री से सिम्स में गलत इंजेक्शन लगने से गर्भपात का सवाल किया। सवाल सुनकर स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी भड़क गए। । उन्होने कहा गलत इंजेक्शन का लगना या दूसरे का इंजेक्शन किसी दूसरे को लगना छोटी बात है। गर्भपात का होना भी कोई बड़ी बात नहीं है। बड़ा प्रदेश है..इस प्रकार की घटना होती रहती है। मंत्री को प्रदेश की सारी जानकारी का होना संभव नहीं है।
मंत्री ने थपथपाया डीन का पीठ
गर्भपात के सवाल से नाराज मंत्री यकायक पत्रकारों को छोड़कर डाक्टरों के बीच पहुंचे। जाते जाते भ्रष्ट सिम्स प्रबंधन को क्लिन चिट दिया। उन्होने डॉ.रमणेश मूर्ति से कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। आप लोग अच्छा काम कर रहे हैं..दलाल मीडिया से डरने की भी जरूरत नहीं है। जाहिर सी बात है कि जिस सवाल पर स्वास्थ्य मंत्री को फटकारना था..उल्टा पीठ थपाथपाकर गलत इंजेक्शन लगाने और गर्भपात करने का मंत्री लायसैेंस देकर गए।
हाईकोर्ट के लिए बड़ा.लेकिन मंत्री के लिए छोटा
बताते चलें कि जो घटना मंत्री के लिए बहुत छोटी है…उसी गर्भपात की घटना को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। मुख्य न्यायाधीश ने स्वास्थ्य सचिव को शपथ पत्र के साथ 7 अप्रैल को कोर्ट में पेश होने को कहा है। ऊपर से स्वास्थ्य मंत्री का कहना कि बात बहुत छोटी है। और गर्भपात कोई बडा मुद्दा नहीं है..प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को शर्मसार करने वाली है। सफलता के घोड़े पर सवार किसान से मंत्री बने स्वास्थ्य मंत्री ने तो यहा तक कह दिया कि छोटी मोटी जानकारी मंत्री को नहीं होती है।
सवाल उठता है कि जब मामला छोटा है..तो हाईकोर्ट ने प्रकरण को क्यों संज्ञान में लिया। सचिव को क्यों तलब किया। सवाल कई ैहं…ताज्जुब की बात है कि मंत्री को अब तक घटना की भनक तक नहीं है। पत्रकारों ने जब मामले को संज्ञान में लाया तो मंत्री को नवजात की मौत बहुत छोटी घटना दिखाई दी ।
हाईकोर्ट से पहले मंत्री का क्लीन चिट
ताज्जुब की बात है कि पांच साल पहले जिन्हें सिम्स की बरबादी के आरोप में भगाया गया था .आज वही लोग मंत्री की कृपा से सिम्स के कर्ताधर्ता बन गए है। ऐसे में स्वास्थ्य मंत्री का संवेदनहीन बयान शर्मसार करने के लिए काफी है।स्वास्थ्य विभाग के कुछ कर्मचारियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि स्वास्थ्य मंत्री का बयान और हाईकोर्ट से पहले सिम्स को क्लिन चिट दिया जाना सिम्स को बरबाद करने के लिए काफी है। क्योंकि सिम्स में आज उन्ही लोगों का कब्जा है जिन्हें पाच साल पहले सिम्स को बर्बाद करने के आरोप में भगाया गया था।