
बिलासपुर–शहर में इन दिनों थाना स्तर पर मैनेजमेंट आरक्षकों की भूमिका और कार्रवाई को लेकर अक्सर पीड़ित को न्याय के लिए नीचे से लेकर ऊपर तक उच्च अधिकारियों के डेहरी में चक्कर के साथ बेबस और लाचार होना पड़ता है।इन मैनेजमेंट आरक्षकों के आगे पूरा थाना नतमस्तक नजर आता है।मेनेजमेंट आरक्षक के तरफ से मामले को मैनेज होने के बाद जब हरि झंडी मिल जाती है तो फिर अधिकारियों की आंख में पट्टी और कानों में सुनाई देना बंद कर देता है।सिर्फ फिर इन उच्चाधिकारियों के द्वारा उस मामले में अलग अलग कहानी बनाकर सफाई देकर बरगला दिया जाता है।यह कोई पहला मामला नहीं जहां पर पीड़ित को समय रहते तत्काल उसकी शिकायत पर कार्रवाई कर आरोपियों को सलाखों के पीछे डाला गया हो। ऐसे बहुत से मामले है जो सामने भी नहीं आ पाते और अन्दर ही अंदर पूरी सेटिंग में एक बड़ा खेला कर दिया जाता है।सूत्र यह भी बताते की एक अच्छी खासी मोटी रकम का लेनदेन कर मामले को मैनेज कर दिया जाता है।

आपको बताते चले कि एक ऐसा मामला बिलासपुर के सिविल लाइन थाने का आया है।जहां पर यहां के सुपर मेनेजमेंट आरक्षक की भूमिका कार्रवाई को लेकर संदेह को पैदा कर रही है।पूरे मामले में प्रार्थी अपराध दर्ज कराने को लेकर भटकता रहा पर उसकी एक नहीं सुनी गई और कार्रवाई के नाम पर झुनझुना थमा दिया गया।
दरअसल पूरा मामला चार पहिया वाहन लूट का है।देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिलासपुर मोहभट्ठा आगमन के पूर्व का है।शहर के मंगला चौक में सुबह सुबह हर्ष चौरसिया नमक युवक अपने साथी के साथ 30/03/2025 को 8 बजकर 40 मिनट में सुबह दिनदयाल कालोनी मंगला से अपनी कार क्र. CG 10 Ax 0030 (महेन्द्रा थार बलेक कलर) में अपने मित्र तरुण शर्मा के साथ अपने घर जा रहा था।मंगला शिव मंदिर के पास गोल्डी मेश्राम स्कुटी से आया और कार के आगे गाड़ी अड़ा कर रास्ता रोक लिया और गालियां देते हुए,कार की चाबी छीन लिया और मारपीट किया ।जिसके बाद उक्त बदमाश युवक माड़ी लूट कर ले गया। गोल्डी मेश्राम का एक साथी पीछा कर रहा था जब गाड़ी लुट कर ले गया तब गोल्डी मेश्राम का साथी उसकी छोड़ी हुई स्कुटी को लेकर चला गया। जाते जाते गोल्डी मेश्राम जान से मारने का धमकी दिया और बोला कर अपनी दबंगई दिखाते हुए जिससे शिकायत करना है कर लेने की बात कहते हुए चला गया।जिसके बाद पीड़ित युवक थाना पहुंचकर गंभीर लूट कि घटना की FIR दर्ज करने के लिए आवेदन देकर गोल्डी मेश्राम पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने एवम कार वापस दिलवाने की गुहार लगाई।और प्रार्थी ने इस पूरी घटना को आस-पास के लोग एवम उसका दोस्त तरुण शर्मा देखे यह भी जानकारी दी।लेकिन इसके बाद उक्त शिकायत में अपराध दर्ज नहीं किया गया।और वह दो से तीन दिन तक थाने का चक्कर लगाता रहा।
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सिविल लाइन सीएसपी निमितेश सिंह को जानकारी होने पर कार्रवाई के लिए आदेशित किया गया और गोल्डी मेश्राम को लूट की गाड़ी के साथ थाना लाने के लिए कहा गया।आदेश के बाद बदमाश और आदतन अपराधी गोल्डी मेश्राम को थार गाड़ी के साथ थाना लाया गया।
लेकिन दिनभर कार्रवाई के नाम पर प्रार्थी पर दबाव बनाकर लूटकर ले जाई गई थार गाड़ी को वापस कर दिया गया।बदमाश युवक के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई कर आदतन बदमाश को अभयदान देकर मामला ठंडा कर दिया गया।
जबकि इस मामले में सिविल लाइन पुलिस थाना अपनी ही कहानी बनाकर पूरे मामले को पैसा का आपसी लेनदेन बताकर की गई कार्रवाई को सही साबित करने में लगी रही है।बहरहाल इस पूरे मामले के समाने आने के बाद यह बात तो स्पष्ट हो गई कि राजपत्रित अधिकारी और थानेदार बस नाम के रह गए और सुपर मेनेजमेंट आरक्षक पूरे मामले में हस्तक्षेप कर एक आदतन बदमाश और पुलिस के बीच के सांठगांठ को उजाकर कर दिया।